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इस पर्युषण पर्व ना भेजे किसी को क्षमापना का व्हाट्सएप, लेकिन इन 4 को जरूर बोले मिलकर क्षमा

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पर्युषण पर्व क्षमा का पर्व है| इसमे अपने अहम को छोड़कर साल भर में किये पाप कर्मों का प्रायश्चित किया जाता है, क्षमा मांगी जाती है | लेकिन इंटरनेट की इस दुनिया ने क्षमा को भी डिजिटल बना दिया है| हम दुनियाभर के लोगो को व्हाट्सेप पर क्षमा के मेसेज तो फारवर्ड कर देते है, लेकिन जिनसे सच मे हाथ जोड़, पैर छू कर क्षमा मांगने होती है उनसे दूरी बनाए रहते है| इस संवत्सरी आप चाहे किसी को व्हाट्सएप्प ना करे लेकिन इन सभी से मिलकर हाथ जोड़ कर क्षमा मांगे | माता पिता से मांगे क्षमा माता-पिता के हमपर अनंत उपकार है| आज की पीढ़ी अपने संस्कार को भूल उनसे दूर होती जा रही है| इस संवत्सरी पर निश्चित रूप से अपने माता पिता के पैर छूकर, मस्तक लगा कर क्षमायापन करे| माता पिता ना तो अपने बच्चो से नाराज़ रहते है ना ही क्षमा की अपेक्षा करते है| लेकिंग हमारा फ़र्ज़ है उनसे क्षमायापन करना | यदि आप विवाहित है तो अपने सास ससुर से भी माता- पिता से ही भाव रखकर क्षमा याचना करे| घर मे अन्य सभी बड़ो का भी वैर छूकर आशीर्वाद लें | पति / पत्नी से मांगे क्षमा पति पत्नी हमारे जीवन का संबल है जिनके साथ हम अपना अधिकांश वक्त गु

टीम होटल में अब नहीं आ सकेंगी क्रिकेटरों की गर्लफ्रेंड

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बोर्ड ऑफ़ क्रिकेट कण्ट्रोल Aka BCCI ने 'राष्ट्रीय हितों' को मद्देनजर रखते हुए हाल ही में यह निर्णय लिया है कि वर्ल्ड कप के दौरान खिलाडियों  (विराट कोहली)  की गर्लफ्रेंड  (अनुष्का शर्मा)  टीम होटल में नहीं आ सकेंगी| बोर्ड के इस फैसले का टीम के मोराल पर भारी असर पड़ने की संभावना है |  पूर्व क्रिकेटर और महिलाओं के चहेते दादा ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि " ऐसा लगता है मानो  BCCI क्रिकेट को नहीं बल्की शरारती क्रिकेटरों को कंट्रोल कर रहा है | "  वहीँ श्री रमेश पोवार और श्री मुनाफ पटेल ने इस फैसले को सही बताया है |  शतक लगाने के बाद अनुष्का को फ़्लाइंग किस देते हुए कोहली  टीम के बोलिंग और बैटिंग आलराउंडर जडेजा का कहना है कि " तानाशाही बोर्ड को खिलाडियों की बिलकुल परवाह नहीं है| दिन भर बेट भांजो, हाथ घुमा घुमा के गेंदबाजी करो उसके बाद भी हाथो को आराम नहीं | ये कहा का न्याय है, हम क्रिकेटर है कि मशीन है ?  BCCI की इस घोषणा का तमाम शादीशुदा और सिंगल भारतीय क्रिकेटरों ने भी भारी विरोध किया है |  नाम नहीं बताने की शर्त पर एक शादीशुदा क्रिकेटर कहते

कभी एक रात

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अश्कों सी बह जाती है, कभी एक रात।  कितना कुछ कह जाती है, कभी एक रात।  गुमनाम ही मिलती है, राते यहाँ अक्सर, पर पहचान ली जाती है, कभी एक रात।  कहानियाँ सुनते सुनाते, गुज़रती है अक्सर, पर कहानी बन भी जाती है, कभी एक रात।  आदत सी हो गई है अब, अंधेरों की उसे,  पर अंधेरों से डर भी जाती है,कभी एक रात। अरसा हो गया, किया कुछ साझा नहीं तुमसे, मिलते है, बांटते है 'आशिक', कभी एक रात ।

मुलाकात

यूँ तो मिलने की अक्सर कोई वजह नहीं होती,  पर इत्तफाकन यूँ मुलाकातें, बेवजह नहीं होती ।  तेरे ख्वाब में ही जागा हूँ बे-सबर मैं रात भर, काश उजले ख़्वाबों में कभी शब् नहीं होती ।  करिश्मा-ए-कुदरत की कुछ सियासत रही होगी, वरना पहली ही नज़र यूँ मोहब्बत नहीं होती ।  फासला है उम्र भर का और साथ तुम नहीं, काश बेज़ार ऐसी ज़िन्दगी लम्बी नहीं होती । इश्क के बाज़ार में क्यों बैठा है तू 'आशिक',  टूटे हुए टुकड़ों की यहाँ कीमत नहीं होती । ऋषभ 

अज्ञात

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अबतक, भागता रहा हूँ, उनके पीछे,  जिनके चेहरे नहीं थे| ना जाने कितने दिलचस्प किस्से और नायब इंसान, पीछे छूट गए ||       

Mirza Ghalib Episode 1 (Doordarshan) Deciphered

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मेरी एक दोस्त है। टेढ़ी-मेढी पर दुनिया को सीधा करने की चाहत रखती है। अक्सर तोहफे देती रहती है। हर एक नायब, खूबसूरत । एक एक कर अब खोल रहा हूँ उन्हें। परत दर परत, रहस्यों से भरे तोहफे। हर एक में डूबते चले जाओ।ज़रा जटिल है ये ।  कोशिश है, मेरे जैसे लोगों की परेशानी हल हो। लुफ्त उठाएं वे भी इन नायब तोहफों का। गुलज़ार साहब ने अपने निर्देशन और  नज्मों  से सजाया है, जगजीत ने मखमली आवाज़ दी है और नसीरुद्दीन शाह की अदायगी । सहुलिय (अपनी) के लिए अंगरेजी का प्रयोग किया है। माफी ।  जिस क्रम में शेर/ ग़ज़ल/ नज़्म और शब् आते गए मैं उन्हें जमाता चला गया| इसे संगठित करने में मैं कई एनी refrences का प्रयोग किया है उनका आभार | कहीं गली नज़र आये तो टिप्पणी में ज़रूर बताये | Mirza Ghalib Episode 1 Video link-  Mirza Ghalib episode 1 You tube देखते जाए, और जहां अटकें पढ़ते जाए ।   Hain aur bhee duniya mein sukhanwar bohot achche Kehte hain ki ‘Ghalib’ ka hai andaaz-e-bayaan (way of description) aur Sukhan – Poetry  Sukhan-war - Poet andaaz-e-bayaan - way of description Ba

तो क्या बात हो

अंधेर, मायूस, सहमी, लम्बी एक रात हो.  सूरज निकले अचानक, तो क्या बात हो|  चेहरे की किताब पर तो पहचान बहुत है, कुछ इंसान भी जाने, तो क्या बात हो|  जब से होश संभाला, बेइंतेहा प्रेम है तुमसे,  मालूम हो जाए तुम्हें भी,तो क्या बात हो|  माना तेज़ है, आसान भी - ईमेल, पर गोया, चिट्ठी कोई लिख जाए, तो क्या बात हो ||

शेर

आशिक:जिन्हें मेरी चाहत से ऐतबार नहीं है, ऐ खुदा! हमें भी उनसे प्यार नहीं है|  खुदा: इसमें होता नहीं है सौदा लेन देन का, ये मुहब्बत है बंदे, कोई व्यापार नहीं है |  ~~ऋषभ~~

वक्त

बेटा! क्यों घर नहीं आता ? पापा! वक्त नहीं मिलता| बेटा! कुछ वक्त बचाया था, अपने बुढापे के लिए, ज़रूरत हो तो ले जाना' यहाँ बेमतलब रखा है|

गुनाह

गुनाह करना  जिस देश में  गुनाह नहीं || उस देश का मैं  गुनेहगार हूँ ... मैं ईमानदार हूँ || ~~Rishabh~~