क्या होगा इस देश का?
भारत एक विकाशशील देश है| यहाँ खान-पान. पहनावा, विचारधाराएं, सरकार एवं रेल मंत्री सभी वक़्त और फैशन के साथ बदलते ही रहते है| एक मात्र अटल है, शाश्वत है, सार्वभौम है, सर्वव्याप्त है वो है एक सवाल - क्या होगा इस देश का? दार्शनिक, विचारक, ज्ञानी- अज्ञानी, नेता- अभिनेता,आम आदमी सभी इस सवाल के पीछे अपना सर खुजाते फिरते है| रेल के डिब्बे से राजपथ तक, अस्पताल से शमशान तक, बीडी की दूकान से पांच सितारा होटल तक लहजा बदल बदल के ये प्रश्न घूमता रहता है| कश्मीर से कन्याकुमारी तक यही सवाल भाषा बदल-बदल कर दोहराया जाता है| अनेकता में एकता का इससे जीवंत उदाहरण शायद की कहीं देखने को मिले| गोया ये सवाल इतना प्रचलित है के बस में बगल में बैठे नव-परिचित से लोग नाम बाद में पूछते है पहले ये सवाल दाग देते है - भाई साहब! क्या होगा इस देश का? जानते हुए भी कि अगले के पास इसका जवाब नहीं| असल में इसका जवाब कोई जानना ही नहीं चाहता| सवाल में ही इतना रस है कि लोग उसी में डूबे रहते है| अब बिना किसी डर के किसी के नुक्स निकाले जा सकते है तो वो देश ही तो है| हर छोटी- बड़ी समस्या के बाद इस सवाल को जो