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कभी एक रात

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अश्कों सी बह जाती है, कभी एक रात।  कितना कुछ कह जाती है, कभी एक रात।  गुमनाम ही मिलती है, राते यहाँ अक्सर, पर पहचान ली जाती है, कभी एक रात।  कहानियाँ सुनते सुनाते, गुज़रती है अक्सर, पर कहानी बन भी जाती है, कभी एक रात।  आदत सी हो गई है अब, अंधेरों की उसे,  पर अंधेरों से डर भी जाती है,कभी एक रात। अरसा हो गया, किया कुछ साझा नहीं तुमसे, मिलते है, बांटते है 'आशिक', कभी एक रात ।