kuch dil se..
जवानी का ये मौसम भी बड़ा मदहोश होता हे! कड़कती बिजलियों का भी अजब आगोश होता हे! सुरा बनके बरसता हे फिजाओ में दीवानापन! रगों में जोश होता हे तभी दिल होश खोता हे!! ....................***********************************************************************..................... पी रहे हे हम इन सांसो के चलने के लिए! और जी रहे हे हम इश्क की बाहों में मरने के लिए! प्रेम का नशा ही हे कुछ ऐसा, कुछ होश तो रहता नहीं! पतंगा चूम लेता लपट को,जैसे आग में जलने के लिए!! जी रहे हे हम इश्क की बाहों में मरने के लिए!! ऋषभ जैन j