प्रश्न कविता से
इस दिन फुर्सत में, कविता से पुछा मैंने- "क्या खामी है मुझमें ? तू क्यों नहीं रहती मेरे लिखे पन्नों में ?" फिर खुद ही जवाब दिया- "शायद मेरे शब्दों का घर बड़ा नहीं है, या वे इतने संपन्न नहीं, जो रहने लायक हों तेरे| या क्योंकी मैं प्रसिद्द नहीं, मेरी नाम में निराला, वर्मा या पन्त नहीं| आखिर क्यों दूर है मुझसे?" कविता हँसकर बोली- "रे पगले! मैं तो हमेशा तेरे दिल में रहती हूँ, जिस दिन कलेजा अपना कागज़ पर रख देगा तेरे पन्नों में भी बस जाउंगी|"