मुलाकात
यूँ तो मिलने की अक्सर कोई वजह नहीं होती, पर इत्तफाकन यूँ मुलाकातें, बेवजह नहीं होती । तेरे ख्वाब में ही जागा हूँ बे-सबर मैं रात भर, काश उजले ख़्वाबों में कभी शब् नहीं होती । करिश्मा-ए-कुदरत की कुछ सियासत रही होगी, वरना पहली ही नज़र यूँ मोहब्बत नहीं होती । फासला है उम्र भर का और साथ तुम नहीं, काश बेज़ार ऐसी ज़िन्दगी लम्बी नहीं होती । इश्क के बाज़ार में क्यों बैठा है तू 'आशिक', टूटे हुए टुकड़ों की यहाँ कीमत नहीं होती । ऋषभ