अधूरी गज़ल
रात आधी, बात आधी, एक जाम है आधा,
मैं अधूरा, तुम अधूरी, शब् पर चाँद है आधा||
मुझसे मिलकर ही तो, हो पाएगा पूरा,
है सुन्दर बहुत लेकिन, तेरा नाम है आधा |
पुरानी चोट है दिल में, दवा रोज़ पीता हूँ,
आधी हुई है ख़त्म, बचा अब दर्द है आधा|
फिसल के हुस्न पर तेरे, सज़ा का हकदार मैं बना,
पर सज़ा की तू भी है हकदार ,तेरा गुनाह है आधा |
I really liked it !
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