ग़ज़ल
जो बयान जुबां से हो जाए, वो आशिकी क्या है?
जो होश में कट जाए, वो ज़िन्दगी क्या है?
देखा है नूर तेरा, हर ज़र्रे में कायम,
जो नज़र मंदिर में ही आए, वो बंदगी क्या है?
कसम याद में मेरी, आँसू ना बहाना,
जो अश्कों में बह जाए, वो बेबसी क्या है?
ना जुबां पर शिकायत, ना चेहरे पे शिकवा,
जो पराये समझ जाए, वो बेरुखी क्या है?
हर मोड़ पर, इस शहर में, आशिक बहुत तेरे,
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Thank You :)