अभिव्यक्ति के कुछ पन्ने




रंगमंच
जिंदगी के रंगमंच पर,
जी लो अपने किरदार को यारो,
राजा बनो या रंक,
दिखाओ अपना रंग,
बस हिम्मत न हारो!

किरदार को भगवान् मान,
साधक बन जाओ,
काम करो पुरे दिल से,
उसमें रम जाओ!


पोशाक भले केसी भी जगाए
संवाद तुम्हारे जोश jagae
मुस्कुराता चेहरा देख तेरा
हर दर्शक थम जाए!

अभिनय एसा हो की
हर शख्स सराहे
कठिनाई केसी भी हो
व्यक्ल्तित्व पर शिकन न आए!

अंत में जब मंचन हो पुरा
और गिर जाए परदा
रहे तुम्हारा किरदार अमर
लोगो की यादो में जिन्दा!

ऋषभ जैन

Comments

  1. hello dost,
    apki kavita ka font samajh me nahi aata
    kuchh keejiye

    ReplyDelete

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