अनंत
क्या है सघन मेघों के उस पार,
नही जानता ।
हो सकता है अंधकार ,
या हो सकते हैं सूर्य हजार,
यही मानता ।
सत्य छुपा हो उस चोटी पर,
जो हो मेघों से भी ऊपर ।
बादल से छनती किरण थाम लूँ ,
उस चोटी को लक्ष्य मान लूँ ।
विकट सरल बाधाएं चीर कर,
पहुंचूंगा मैं जब उस चोटी पर ।
मैं निश्चय ही यह पाऊंगा ,
मैं भी एक सूर्य बन जाऊंगा ।।
-ऋषभ जैन- नही जानता ।
हो सकता है अंधकार ,
या हो सकते हैं सूर्य हजार,
यही मानता ।
सत्य छुपा हो उस चोटी पर,
जो हो मेघों से भी ऊपर ।
बादल से छनती किरण थाम लूँ ,
उस चोटी को लक्ष्य मान लूँ ।
विकट सरल बाधाएं चीर कर,
पहुंचूंगा मैं जब उस चोटी पर ।
मैं निश्चय ही यह पाऊंगा ,
मैं भी एक सूर्य बन जाऊंगा ।।
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Thank You :)