एक प्रेम पत्र



एक प्रेम पत्र

(यह कविता मेने एक प्रत्योगिता के दौरान लिखी थी, इस कविता की ख़ास बात सिंहावलोकं छंद हे,इसमे जिस शब्द से वाक्य का अंत होता हे उसी से शुरुआत होती हे!)


हम और तुम हे अलग संसार में,
संसार हे अलग पर हम हे प्यार में,
प्यार हे पवित्र चाहे दूरिया अपार हे,
अपार दूरियों से ख़बर लाती बयार हे,
बयार जे पैगाम को स्वीकार कर लो प्रिये,
जीवन हे छोटा सा हम से प्यार कर लो प्रिये!

नशे में हम,हुस्न तेरा जाम हे,
जाम सा नशीला सुंदर तेरा नाम हे ,
नाम जप जप के गुज़रती हर शाम हे'
शाम रात दिन दिल को न आराम हे,
आराम हमे दे दो या जान ले लो प्रिये,
जीवन हगे छोटा सा हमे प्यार कर दो प्रिये!

महक तुम्हारी लगती हे उपवन सी,
उपवन से बढ़कर लगती हो चंदन सी,
चंदन सा सुनहेरा तुम्हारा रंग रूप हे,
रूप हे किरणे मानो सर्दी की धूप हे,
धूप छाव जिंदगी की हमारे नाम कर दो प्रिये,
जीवन हगे छोटा सा हमे प्यार कर दो प्रिये!

प्यार के बिना प्रिये में बिलकुल अधुरा हूँ ,
अधूरे सपने लिए एक कागज़ में कोरा हूँ।
कोरे इस कागज़ को कलम का इंतज़ार हे,
इंतज़ार में प्रिये ये दिल बेकरार हे।
बेकरारी को मिटा आँखे चार कर लो प्रिये,
जीवन हगे छोटा सा हमे प्यार कर दो प्रिये!

अगर धुप आएगी तो चाव बन जाऊंगा,
चाव में सुलाकर में लोरियां सुनाऊंगा।
सुनाऊंगा गीत तुम्हे जीवन की ताल पर,
ताल में छुपाकर में खुशियाँ बहाऊंगा।
बह जायगा ये यौवन विचार कर लो प्रिये,
जीवन हगे छोटा सा हमे प्यार कर दो प्रिये!

ऋषभ जैन






Comments

  1. धूप छाव जिंदगी की हमारे नाम कर दो प्रिये,
    जीवन हगे छोटा सा हमे प्यार कर दो प्रिये!nice

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  2. bahut hi sundar likha hai.
    agli rachna ka intzaar rahega.........

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  3. jeevan mein seekhna nahin rukna chahiye..ham aapse seekhein aap humse..ye सिंहावलोकंन छंद main aapse seekh raha hoon ... ye ek kami mujhmain rah gyi.. vyakaran par apni pakad shuny hai.. pryas kar ke dekhoonga. aapka danyvad

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