पर्युषण पर्व क्षमा का पर्व है| इसमे अपने अहम को छोड़कर साल भर में किये पाप कर्मों का प्रायश्चित किया जाता है, क्षमा मांगी जाती है | लेकिन इंटरनेट की इस दुनिया ने क्षमा को भी डिजिटल बना दिया है| हम दुनियाभर के लोगो को व्हाट्सेप पर क्षमा के मेसेज तो फारवर्ड कर देते है, लेकिन जिनसे सच मे हाथ जोड़, पैर छू कर क्षमा मांगने होती है उनसे दूरी बनाए रहते है| इस संवत्सरी आप चाहे किसी को व्हाट्सएप्प ना करे लेकिन इन सभी से मिलकर हाथ जोड़ कर क्षमा मांगे | माता पिता से मांगे क्षमा माता-पिता के हमपर अनंत उपकार है| आज की पीढ़ी अपने संस्कार को भूल उनसे दूर होती जा रही है| इस संवत्सरी पर निश्चित रूप से अपने माता पिता के पैर छूकर, मस्तक लगा कर क्षमायापन करे| माता पिता ना तो अपने बच्चो से नाराज़ रहते है ना ही क्षमा की अपेक्षा करते है| लेकिंग हमारा फ़र्ज़ है उनसे क्षमायापन करना | यदि आप विवाहित है तो अपने सास ससुर से भी माता- पिता से ही भाव रखकर क्षमा याचना करे| घर मे अन्य सभी बड़ो का भी वैर छूकर आशीर्वाद लें | पति / पत्नी से मांगे क्षमा पति पत्नी हमारे जीवन का संबल है जिनके साथ हम अपना अधिकांश वक्त गु...
हर बिना धुले कपडे की एक कहानी होती हें ! सिमटी हुई सी, कभी आस्तीन कभी जेब कभी महक में छुपी ! झांकते है कुछ लम्हे कुछ यादे, उन सिलवटो और निशानों से ! और सुनाते हें एक कहानी उस सफर की, जो उसके धुलने के साथ ही भुला दिया जाएगा ! हर बिना धुले कपडे की एक कहानी होती हें !! . . राजू का मिटटी से सना स्कूल का नीला शर्ट बता रहा हें कि आज उसने खेला है फुटबाल क्लास छोड़ कर ! कुछ भीगी सी आस्तीने गवाह हें कि पसीना फिर उसने बाज़ुओ से ही पौछा है ! . पड़ोस कि आंटी की लखनवी डिजाईनर साड़ी पर लगे सब्जी के निशान बता रहे है भोज में आये मेहमानों कि भूख को ! रोज़ मोहल्ले का डान बनकर घूमने वाले महेश कि शर्त फटी हुई हें आज, वो पिट कर लौट रहा है या हवालात से ! . बड़े भैया के एक बाजू से महक रहा है जनाना इत्र, उस लड़की का जिसके हाथ थाम जनाब सिनेमा देख आये हें ! पिताजी का सिलवटो और पसीने से भरा शर्ट हिसाब देता हें उन पैसो का, जो हम बेफ़िक्री से उड़ाते हें ! माँ की साड़ी में गंध और कालिख हें कोयल...
मेरी एक दोस्त है। टेढ़ी-मेढी पर दुनिया को सीधा करने की चाहत रखती है। अक्सर तोहफे देती रहती है। हर एक नायब, खूबसूरत । एक एक कर अब खोल रहा हूँ उन्हें। परत दर परत, रहस्यों से भरे तोहफे। हर एक में डूबते चले जाओ।ज़रा जटिल है ये । कोशिश है, मेरे जैसे लोगों की परेशानी हल हो। लुफ्त उठाएं वे भी इन नायब तोहफों का। गुलज़ार साहब ने अपने निर्देशन और नज्मों से सजाया है, जगजीत ने मखमली आवाज़ दी है और नसीरुद्दीन शाह की अदायगी । सहुलिय (अपनी) के लिए अंगरेजी का प्रयोग किया है। माफी । जिस क्रम में शेर/ ग़ज़ल/ नज़्म और शब् आते गए मैं उन्हें जमाता चला गया| इसे संगठित करने में मैं कई एनी refrences का प्रयोग किया है उनका आभार | कहीं गली नज़र आये तो टिप्पणी में ज़रूर बताये | Mirza Ghalib Episode 1 Video link- Mirza Ghalib episode 1 You tube देखते जाए, और जहां अटकें पढ़ते जाए । Hain aur bhee duniya mein sukhanwar bohot achche Kehte hain ki ‘Ghalib’ ka hai andaaz-e-bayaan (way of description) aur Sukhan – Poetry ...
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Thank You :)